आज शपथ लेंगी कल्पना सोरेन: गांडेय विधानसभा क्षेत्र से विधायक पहली बार बने हैं; जानिए उनके बारे में – रांची समाचार

आज शपथ लेंगी कल्पना सोरेन: गांडेय विधानसभा क्षेत्र से विधायक पहली बार बने हैं;  जानिए उनके बारे में - रांची समाचार
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पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन आज विधायक पद की शपथ लेंगी। झारखंड विधानसभा में शाम को कार्यक्रम आयोजित किया गया। उन्हें विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो पद की शपथ दिलाएंगे। वह गांडेय कांग्रेस जीत कर पहली बार विधायक बने हैं। शपथ ग्रहण

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कल्पना सोरेन गांडेय लोकसभा सीट जीत कर विधायक बनी हैं। उन्होंने बीजेपी सुपरस्टार दिलीप वर्मा को 26 हजार वोटों से हराया है। कल्पना कीजिए कि जिस गांडेय सीट से विधायक चुने गए हैं, उस सीट पर साल 2019 में हुए झारखंड विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के डॉ. सरफराज अहमद चुने गए थे।

हेमंत सोरेन को समान के बाद ही डॉ. सरफराज को विधानसभा की सदस्यता से सम्मानित किया गया। इसके बाद इस सीट पर सोरेनचुंबी मैदान की कल्पना की गई थी।

कभी मंत्री तो कभी CM बनने की चर्चा

कल्पना सोरेन की विधानसभा चुनाव जीतने के बाद राज्य में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी गई है। कल्पना सोरेन के विधायक बनने से राजनीतिक गलियारों में नेतृत्व परिवर्तन से लेकर विस्तार तक पर चर्चा हो रही है। एक बार फिर चर्चा हुई है कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। राजनीति के जानकारों का कहना है कि अगर वर्तमान सरकार के मुखिया के चेहरे में भी बदलाव नहीं होता है तो कल्पना को मंत्री बनाया जा सकता है।

सरकार में मंत्री के दो पद रिक्त

वर्तमान में झारखंड सरकार में एक मंत्री का पद नीचे है। इसके अतिरिक्त 12वें मंत्री का भी पद नीचे है। इस तरह से दो पद रिक्त हैं। हालांकि सूत्र बता रहे हैं कि कैश कांड में गिरफ्तार कांग्रेस कोटे के मंत्री आलमगीर रहमान दे सकते हैं। इस जगह को कांग्रेस कोटे से ही किसी को मंत्री बनाया जा सकता है। चर्चा है कि इस बार कांग्रेस कोटे से महागामा की विधायक दीपिका पांडे सिंह मंत्री बनाई जा सकती हैं।

जमीन घोटाले में हेमंत सोरेन का नाम आने के बाद से ही कल्पना के सीएम बनाए जाने की चर्चा तेज थी। कहा तो यह भी गया था कि कल्पना के लिए सरफराज अहमद ने गांडेय सीट से इस्तीफा दे दिया, ताकि कल्पना जीत सके और मुख्यमंत्री बन सके, लेकिन परिवार और पार्टी के बीच विरोध को देखते हुए हेमंत से सत्ता चंपा सोरेन को सौंप दी। अब कल्पना की जीत होगी। के बाद एक बार फिर उनकी कमान संभालने की अटकलें चुनौतियां।

जानिए कल्पना मुर्मू सोरेन की कहानी। एक आर्मी अफसर की बेटी कैसे झारखंड के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार की बहू बनेंगी और क्या अब प्रदेश की अगली सीएम भी बन सकती हैं…

पंजाब में पैदा हुए थे, स्कूल में हॉकी खेलते थे कल्पना

ओडिशा के मयूरंगज जिले में रहने वाले सेना के सेवानिवृत्त कैप्टन अम्पा मुर्मू (कल्पना के पिता) बताते हैं, ‘मैं उन दिनों पंजाब के कपूरथला में पोस्ट किया गया था।’ कल्पना का जन्म भी 3 मार्च 1985 को हुआ। वो महिला विद्यालय में पढ़ती है। बचपन से ही पढ़ाई में होशियार थी। हमेशा क्लास में टॉप तीन में उसका नाम होता था।’

स्कूल के दिनों में कल्पना को पढ़ाई के अलावा हॉकी खेलने का भी शौक था। पिता के तबादले के साथ स्कूल भी बदल रहे। कुछ खेलों में हॉकी नहीं थी, इसलिए ये खेल छूट गया और वह आगे हॉकी नहीं खेल पाए।

कल्पना के कारण हेमंत सोरेन ने भी नियम बनाया था कि वे परिवार के साथ डिनर घर पर रहेंगे ताकि परिवार को समय दे सकें।  पांच टेबल पर राजनीतिक चर्चा नहीं होती।

कल्पना के कारण हेमंत सोरेन ने भी नियम बनाया था कि वे परिवार के साथ डिनर घर पर रहेंगे ताकि परिवार को समय दे सकें। पांच टेबल पर राजनीतिक चर्चा नहीं होती।

प्री-इंजीनियरिंग टेस्ट में टॉप कर सबको चौंका दिया

12वीं करने के बाद कल्पना ने उन्हें बनाना शुरू कर दिया। उस समय स्टेट प्रीइंजिन टेस्ट हुआ करता था। कल्पना पर जैसे इस टेस्ट को क्रैक करने की धुन सवार थी। वह खूब पढ़ाई करती थीं।

पिता अम्पा मुर्मू ने बताया, ‘एक बार हमारे एक पारिवारिक मित्र की शादी थी। हमने कहा तैयार हो जाओ, शादी में चलना है। कल्पना ने मना कर दिया। ‘तब कल्पना को अकेले रहने से डर लगता था, बावजूद इसके पढ़ाई के लिए वह अकेले घर पर रह रही थी।’

जब निर्माण का परिणाम आया तो हम सब दंग रह गए। वह राज्य में 13वीं रैंक पर थी और एसटी श्रेणी में शीर्ष पर थी। हम जानते थे कि पास हो जाएगी, लेकिन टॉपगी, ऐसी उम्मीद नहीं थी। इसके बाद कल्पना ने किस्ट महिला कॉलेज से पढ़ाई की, जो अब बंद हो चुका है।

अप्रैल 2023 में ओडिशा के कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइसेंज में आयोजित समारोह के मुख्य अतिथि के तौर पर उन्होंने बताया कि 2005 में हम इस इलाके में प्रशिक्षण के लिए आते थे। उस समय यह पूरा इलाका जंगल था। अकेले ऑटो होल्ड में डर लगता था। तब हम ग्रुप में आते थे। प्रशिक्षण के दौरान यहां खाने के लिए कुछ नहीं मिलता था। एक यूनिवर्सल ब्रांड वाला बड़ी हांडी में दही बड़ा बिकता था। उस समय यही हमारा नाश्ता और भोजन हुआ करता था।

ऐसे अरेंगे हुई थी ये हाईप्रोफाइल शादी

कल्पना के पिता कैप्टन अम्पा मुर्मू बताते हैं कि हमारे बगल में एक अधिकारी रहते थे जो अस्पताल में काम करते थे। हेमंत सोरेन की बड़ी बहन अंजली की शादी भी ओडिशा में हुई है। वह अंजली के रिश्ते में जेठ थीं। उन्होंने कल्पना को देखा था। उन दिनों शिबू सोरेन छोटे बेटे की शादी करना चाहते थे और लड़की देख रहे थे।

हेमंत और कल्पना की शादी 7 फरवरी 2006 को हुई थी।  कल्पना का मायका ओडिशा में है।

हेमंत और कल्पना की शादी 7 फरवरी 2006 को हुई थी। कल्पना का मायका ओडिशा में है।

कल्पना कीजिए कि शिबू सोरेन ने तय किया कि यही बनेगी मेरी बहू

अधिकारी ने शिबू सोरेन को बताया कि मेरी नजरों में एक लड़की है, वह हेमंत के लिए सही रहेगी। इस दौरान शिबू सोरेन का इसी इलाके में एक विवाह समारोह हुआ। उनके साथ हेमंत और बड़ा बेटा दुर्गा भी थे। कैप्टन अम्पा मुर्मू परिवार सहित शादी में थे।

वहां कल्पना को देखा और पहली नजर में ही शिबू सोरेन ने उन्हें अपनी बहू के रूप में चुन लिया। हेमंत सोरेन और बाकी लोगों को भी लड़की पसंद आई। इसके बाद दोनों परिवार के बीच बात हुई और 7 फरवरी 2006 को कल्पना और हेमंत की शादी हो गई।

ऐसी शादी आज तक लोगों ने नहीं देखी

मयूरगंज में ‘कलिंगा’ न्यूज चैनल के ब्यूरो चीफ सत्यजीत सोम उस शादी में मेहमान बन गए थे। सत्यजीत बताते हैं कि वह इस इलाके की सबसे शानदार शादियों में से एक थी। सैकड़ों गाड़ियाँ पहुँची थीं। ट्रकों के लिए पार्किंग और सुरक्षा का दुरुपयोग किया गया था।

ऐतिहासिक तौर पर, यह एक ऐसी घटना है जिसके लिए दूसरे राज्यों से बंदूकधारियों को बुलाया गया था। उसके बाद यहां के लोगों ने आज तक ऐसी गंदगी नहीं देखी। पारंपरिक सांस्कृतिक रीति-रिवाज से हेमंत सोरेन अपनी दुल्हन ले गए थे।

कल्पना ने शादी के बाद शादी कर ली और अपना बिजनेस शुरू कर दिया।

कल्पना ने शादी के बाद शादी कर ली और अपना बिजनेस शुरू कर दिया।

शादी के बाद खाना बनाना

पिता के सेना में रहने के कारण कल्पना के परिवार में एक तरह का खुलापन था। कैप्टन अम्पा अपनी दोनों बेटियों की कल्पना और सरला को पढ़ना चाहते थे। यही कारण था कि काल्पनिक किचन से दूर रही। वे केवल पेट भरकर दाल-चावल बनाना चाहते थे। शादी के बाद जब उन पर जिम्मेदारी आई तो उन्होंने खाना बनाना सीखा। अब वे अपने परिवार की वन ऑफ द बेस्ट कुक हैं।

शादी के बाद कल्पना रांची आ गई। उन्होंने परिवार के सामने आगे पढ़ने वालों की इच्छा जाहिर की। ससुर शिबू सोरेन ने इसके लिए हरी झांकी दे दी और कल्पना ने परिवार की सहमति से इनकार कर दिया। इसके बाद वे बिजनेस में हाथ आजमाने लगे। वे रांची में एक प्ले स्कूल भी चलाते हैं। 2022 में आरोप लगा था कि हेमंत सोरेन ने कल्पना की थी कि कंपनी को 11 एकड़ जमीन का मालिकाना हक गलत तरीके से दिया गया है।

पुत्र निखिल और अंश के साथ हेमंत सोरेन और कल्पना।  सामाजिक मौकों पर कल्पना की जाती है कि वे हमेशा अपने पति के साथ जाते हैं, लेकिन राजनीति से संबंधित कार्यक्रमों से वे दूर रहते हैं।

पुत्र निखिल और अंश के साथ हेमंत सोरेन और कल्पना। सामाजिक मौकों पर कल्पना की जाती है कि वे हमेशा अपने पति के साथ जाते हैं, लेकिन राजनीति से संबंधित कार्यक्रमों से वे दूर रहते हैं।

भोजन हमेशा परिवार के साथ, लेकिन राजनीति के नजरिये से

कल्पना हमेशा परिवार को और उसके बंधन को तरजीह देती हैं। उनके घर में आज भी नियम है कि सभी लोग साथ में भोजन करेंगे। एक इंटरव्यू में कल्पना ने खुद कहा था कि वे राजनीति की बातें नहीं करते हैं। वे कहते हैं कि अगर घर में भी बाहर की चीजें होंगी तो परिवार और बच्चों का एंटरटेनमेंट टाइम नहीं बचेगा। रात ही एक ऐसा समय है जिस समय हम घर-परिवार की बातें कर रहे होते हैं, इसलिए यह स्थान मैं राजनीति के साथ नहीं बांटता।

कल्पना ने शादी के बाद कुकिंग करना सीखा है। इससे पहले तक वे सामान्य तौर पर दाल-चावल बनाते रहे थे।  अब वे झारखंड की हर डिश बनाने में निर्यात हो चुके हैं।

कल्पना ने शादी के बाद कुकिंग करना सीखा है। इससे पहले तक वे सामान्य तौर पर दाल-चावल बनाते रहे थे। अब वे झारखंड की हर डिश बनाने में निर्यात हो चुके हैं।

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