गणित की शिक्षा दे रही आत्मनिर्भरता की सीख, जैविक खेती से किसानों की तकदीर

गणित की शिक्षा दे रही आत्मनिर्भरता की सीख, जैविक खेती से किसानों की तकदीर
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सौम्या ज्योत्सना

कभी-कभी गणित की अध्यापिकाएँ प्रतिभावान तिवारी के साथ खेती-बाड़ी करती रहती थीं-बबड़ी को लेकर काफी उत्साह रहता था, मगर वे अपने शौक को पर्याप्त समय नहीं दे पा रही थीं। अंततः उन्होंने जैविक खेती करने का निर्णय लिया। यह उनकी कड़ी मेहनत का नतीजा है कि आज जैविक खेती के जरिए वह 1200 किसानों की आय बढ़ाने में मदद कर रही हैं।

भोपाल की प्रतिभा तिवारी (35) ने जैविक खेती को लेकर उत्सुकता शुरू की। वे वाक़िफ़ कहते हैं कि ज़्यादातर किसान वैज्ञानिक में दस्तावेज़ का उपयोग करके फ़सल उगाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद ख़तरनाक है। वे बताते हैं कि भोपाल से 150 किमी दूर हरदा में उनका मुस्लिम 50 किमी दूर है। अत: उन्होंने जैविक खेती करने का निर्णय लिया और गणित के शिक्षकों की नौकरी छोड़ दी। इसके लिए उन्होंने दिल्ली में बायोलॉजिकल खेती के एक कोर्स में भी दाखिला लिया। फिर साल 2016 में जमीन के एक छोटे से हिस्से में चर्चा शुरू हुई। उन्होंने मिट्टी के उर्वराता में सुधार के लिए जैविक पदार्थों का उपयोग किया- जैसे कि गोबर, जैविक खाद जैसे जीवामृत और मल्चिंग आदि का उपयोग किया गया। आज उनका सालाना कारोबार एक करोड़ रुपये से ज्यादा का है.

1200 किसानों का साथ मिला

धीरे-धीरे किसान किसानों की अच्छी उपज देखकर अन्य लोग भी साथ जुड़ते हैं और आज मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के 1200 किसान जुड़े हुए हैं, घर-घर जाकर अपने ब्रांड के तहत उत्पाद बेचते हैं। टैलेंट ने रिटेल के साथ भी किया कारोबार, जहां किसान सीधे अपना सामान बेच सकते हैं। वह किसानों को अपने साजो-सामान में औषधीय उपचार के लिए आवेदन देता है, क्योंकि इससे उन्हें 10% अतिरिक्त आय प्राप्त होती है।

जैविक खेती की अलग चुनौती

प्रतिभाओं का कहना है कि जिस जमीन पर जैविक खेती की जा रही थी, वहां 18 साधारण प्रति नानक से लगभग 10 साधारण प्रति नानक हो गई थी। उन्होंने ज़मीन के कुछ सिद्धांतों पर मूंग ओबेने की भी कोशिश की, लेकिन पूरी फ़सल की नौकरी ने नष्ट कर दिया। वे कहते हैं, “यह अंतत: था, परन्तु मैं ने कभी हार नहीं मानी।” काफी मेहनत और समय के बाद उपजी में धीरे-धीरे सुधार हुआ। साल 2019 तक प्रतिभा ने अपनी पूरी जमीन को जैविक खेती में बदल दिया और सरकार से सर्ट असेंबल भी हासिल कर लिया।

अपना ब्रांड खड़ा किया

प्रतिभा ने ‘भूमिशालिन्स’ नाम से अपने बायोलॉजिकल फूड ब्रांड की भी शुरुआत की, जिसमें 70 तरह के उत्पाद शामिल हैं, जिनमें शामिल हैं, कच्चे माल, चावल, दालें, मसाले, अचार, स्वादिष्ट-बूटियां, आटा, क्विनोआ, सन और चिया सीड्स और अन्य। कोल्ड प्रेस्ड तेल शामिल हैं।

इंडोनेशिया तक बॅन रीच

प्रतिभा की पहुंच भोपाल, दिल्ली और मुंबई में करीब 400 लोग तक है। वे आटे और दालें, जैसे कुलथी, चने और अरहर भी उगाती हैं। इनमें रोसेला, मोरिंगा, हिबिस्कस और एलोवेरा जैसे औषधीय उपचार भी मौजूद हैं। सरकार द्वारा वर्ष 2023 में इंटरनेशनल ईयर ऑफ मीट्स की घोषणा करने पर प्रतिभा की कोशिश की गई है कि इस मशीन का पूरा व्यावसायिक लाभ उठाया जाए, इसलिए वे बजारा स्टूडियो के प्रतिभागियों के लिए दो इंडोनेशियाई फर्मों के साथ बने हुए हैं। वे अपने बायोलॉजिकल प्रोडक्शन को बाजार में लाने के लिए प्रयास कर रहे हैं, ताकि अधिक से अधिक लोग लाभ उठा सकें।

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