अब झारखंड में किसान आंदोलन की आहट: किसानों को एक साल से नहीं मिला किसान आंदोलन, धान की उपज दर भी बढ़ाने की मांग तेज

अब झारखंड में किसान आंदोलन की आहट: किसानों को एक साल से नहीं मिला किसान आंदोलन, धान की उपज दर भी बढ़ाने की मांग तेज
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राँची10 घंटे पहले

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सड़क पर उतरने का मूड झारखंड के किसान में

राज्य के किसान अब सड़क पर उतरकर आंदोलन करने के मूड में आ रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार और विभाग उनके साथ चल रहे हैं। ना तो समय पर खेती के लिए बीज बोना है और जो बीज बोना है उससे भी कोई नुकसान नहीं है। स्थिति तो ऐसी है कि डेस साल लैंप्स-पैक्स में किसानों ने जो धान खरीदा है, पैसा अब तक नहीं मिला है। ऐसे में राज्य के किसान खुद को मौत का एहसास करा रहे हैं। झारखंड किसान महासभा (जय झारखंड अभियान) की ओर से बताया गया कि सरकार किसान और खेती की बात करती है लेकिन यह सब कागजों तक ही है। आज भी राज्य के किसान संघर्ष कर रहे हैं।
25 रुपये सरकार करे धान की धारा
अंधविश्वास से बातचीत करते हुए झारखंड किसान महासभा के केंद्रीय अध्यक्ष अछूते महतो ने सरकार के सामने किसानों की ओर से 11 करोड़पति बनाए हैं। महासभा का कहना है कि राज्य के किसानों को एक साल पहले दिए गए धान के पैसे आवंटित किए गए हैं। सरकार उन किसानों के उत्पाद राशी का चालू भुगतान करे। किसानों के पैसे 24 घंटे अंदर भेजे जाएंगे। वहीं धान आदि की प्रक्रिया दिसंबर माह से शुरू हो जाएगी। सरकार फरवरी-मार्च से धान की दुकानें शुरू करती है। जिसका नाम चारे है। वहीं धान की दुकान 25 रुपए की जाए। वहीं उनकी मांग है कि वैसे किसान जो गैर मजरूवा जमीन पर खेती कर रहे हैं, उस जमीन का मालिकाना हक किसानों को मिले। वहीं ऐसी जमीनों पर बिजली कटर का ऑर्डर दिया जाए।
तेलुगू कारखाने वाली विपणन समिति
महासभा की मांग है कि झारखंड राज्य कृषि उपजी और पशु विपणन (लाभ और सुविधा) साझेदार हो। साथ ही किसानों के नाम पर लीज पर मार्केट में निर्मित रिटेल सुविधाओं से युक्त किया गया। महासभा की मांग है कि इन उद्यमों में राक्षसों का निर्माण किसानों के लिए न किया जाए। ग्रामीण क्षेत्र के हाट होटल को एक मॉडल हाट के रूप में विकसित किया गया। जंगली जानवरों की वजह से किसानों के जनमाल को होने वाले नुकसान की भरपाई तुरंत हो सकती है। किसानों का नुकसान तो हो जाता है, लेकिन महीनों तक किसानों का चक्कर कटता रहता है।
हरी साग-सब्जियों पर भी सेक्शन हो गया
किसान व्यापारियों का कहना है कि सरकार हरी खेती सहित अन्य सब्जियों का सेल्सोअप तय करे। धान, हर, मडुवा (रागी), मक्का, मूंगफली, अरहर, आलू आदि की खरीद की व्यवस्था बाजार समिति के माध्यम से हो। ऐसा करने से असली किसानों से धान और अन्य बीजों की खरीद हो जाएगी ना किचौकी के माध्यम से। राज्य के पांचों प्रमंडलों की भौगोलिक स्थिति के समुदाय स्पष्ट कृषि नीति बनें। आधुनिक कृषि बिल में संशोधन कर किसान हित में इसे अविलंब लागू किया जाए। वहीं केसीसी लोन की सीमा 10 लाख तक पहुंच जाएगी। मोटे अनाजों की खेती को लेकर मिलेट ग्रेटर नोएडा का गठन किया जाए।
ऑफिस की सरकार करे समीक्षा
किसानों की मांग है कि आर्गेनिक फॉर्मिंग लिमिटेड ऑफ झारखंड (ओफाज) के श्रमिक समीक्षा सरकारी इंजीनियर। इससे किसानों को अब तक क्या फायदे हुए हैं इसकी जानकारी साझा की जाएगी। संतुष्टिप्रद परिणाम न देखें इस विभाग में हर साल करोड़ों के खर्च हो रहे हैं। राज्य में जैविक कृषि की ‘रोकथाम’ बनाई जाए। कृषि एवं संग्रहालय मंत्रालय के अंतर्गत सभी इकाइयों का संशोधित वेब पोर्टल बनाया जाएगा। जिसमें परिभाषा के निर्माण स्तर से लेकर अंकित लाभुकों के स्तर तक कि औपचारिक जानकारी दी जाए। वहीं ट्रेनिंग एग्रीकल्चर के लिए एग्रीकल्चर सेंटर ऑफ एक्सेलेंस बनाया जाए।
मेरी पूरी नहीं हुई तो होगा आंदोलनकारी
झारखंड किसान महासभा की ओर से कहा गया कि अब हम जय झारखंड अभियान के तहत किसान बचाओ यात्रा करने जा रहे हैं। इस यात्रा के माध्यम से हम सैर-सपाटे तक पहुंचे। किसान पंचायत करेंगे। जहां किसानों के बीच हक और अधिकार की बात होगी। हम सरकार को बताना चाहते हैं कि किसान अब लाइन हो रहे हैं। उनमें काफी रोष है। यह रोष किसी भी दिन बड़े आंदोलन का रूप ले सकता है। सरकार किसान हमारी कंपनी पर ध्यान नहीं दे रही है तो संगठन पूरे राज्य में आंदोलन करने को मजबूर होगा।

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