उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग का एक हिस्सा आज यानी रविवार सुबह अचानक ढह गया। दुर्घटना में करीब 40 श्रमिक टनल में ही फंस गए हैं, जिसमें बाहर निकालने के लिए वॉर्स्टर पर राहत और बचाव का काम किया जा रहा है। डिफ़ेक्शन कार्मिक पाइप के माध्यम से ऑक्सीजन की मूर्ति कर रहे हैं। इस बीच, सिलक्यारा से डंडालगांव के बीच बन रही सुरंग का निर्माण कर रही एजेंसी ने कहा कि इस बात के संकेत मिले हैं कि अंदर के मजबूत श्रमिक सुरक्षित हैं। इसी कड़ी में नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड के प्रोजेक्ट मैनेजर डेसीजन ने कहा कि ऑरेंज में लोगों ने पाइप से पानी बाहर निकाला है जिससे पता चलता है कि वे सभी सुरक्षित हैं।
जल्द ही बागवान निकले श्रमिक- श्रमिक के लिए
यूनिवर्सल ने कहा कि प्राकृतिक वाला मलबा ड्रेन का काम तेजी से चल रहा है और हमें लग रहा है कि अब हम ज्यादा दूर नहीं हैं। डेक्वेंसी ने कहा, हमसे उम्मीद है कि हम आज रात तक नोबेल तक पहुंचेंगे। इससे पहले, घटना की सूचना उत्तरकाशी के पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी ने दी थी, जिसमें बताया गया था कि पुलिस, राष्ट्रीय आपदा मोचन, राज्य आपदा प्रतिरोध बल, ट्रेनी, आपातकालीन 108 व सुरंग का निर्माण करा रही संस्था राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एन एच डेटाबेस सीएल) के कर्मचारी मलबा निकाल और ऑरेंज गैजेट के काम में लगे हुए हैं। उन्होंने बताया कि रविवार सिलक्यारा की तरफ सुबह छह बजे-सात बजे के बीच हुआ।
बाद में सीमा सड़क संगठन और भारत तिब्बत सीमा पुलिस की रिपोर्ट में भी मोक्ष कार्य और तेजी आई। उत्तरकाशी के आश्रम अभिषेक रुहेला, एनएच आश्रम के मुख्य महाप्रबंधक विशाल गुप्ता और पुराने बच्चों के सेकेंड इन कमांड असैन्य बधानी भी बचाव एवं राहत कार्य की निगरानी के लिए मौके पर मौजूद हैं। उत्तरकाशी जिले के आपात्कालीन वित्तीय केंद्र के अनुसार, 160 डिफ्रेंस कर्मी जहाज बनाने वाले उपकरण और फ्लोटिंग कार्गो की मदद से सुरंग में मलबे तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं।
सुरंग में 40 श्रमिक हैं
यदुवंशी ने बताया कि एनएच बीएलओ द्वारा उपलब्ध कराए गए वैज्ञानिक रिकॉर्ड के अनुसार, लगभग 40 श्रमिक काम पर लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि सुरंग का डूबने वाला हिस्सा सुरंग के मुंह से करीब 200 मीटर दूर है। उन्होंने कहा कि सुरंग के दाहिने हिस्से तक ऑक्सीजन पाइप पहुंचा दिया गया है ताकि वहां मौजूद लोगों को शांति पहुंचाने में कोई सुविधा न हो। उन्होंने बताया कि सुरंग के अंदर खाद्य सामग्री भी पहुंचाई जा रही है और जल्द से जल्द बाहर निकाला जाएगा। वहीं टनल में विचित्र लोगों की सूची एविकल उत्तराखंड की ओर से जारी की गई है।
जारी है जिंदगी जीने की जद्दोजहद
घटना के बारे में पूछे जाने पर पुलिस अधिकारी ने कहा कि इसके बारे में बाद में पता लगाया गया है और शोकेस गैंग में लोगों की जान बचाई गई है। नवयुग इंजीनियरिंग के अनुसार श्रमिक श्रमिक बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के हैं। हर मौसम के अनुकूल चार धाम सड़क परियोजना के तहत चल रही इस साढ़े चार किलोमीटर लंबी सुरंग का निर्माण कार्य पूरे के बाद उत्तरकाशी से यमुनोत्री धाम तक की यात्रा 26 किलोमीटर कम होगी।
मोदी और सीएम धामी ने ली घटना की जानकारी
उधर, मुख्यमंत्री मनोहर लाल सिंह धामी ने कहा कि घटना की जानकारी बैठक के बाद वह लगातार अधिकारियों से संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि मशीनरी मशीनरी पर निर्माण एवं राहत कार्य में छूट दी गई है। धामी ने कहा कि ईश्वर से कामना है कि जल्द ही सभी लोग कुशल हो जाएं। प्रधानमंत्री मोदी ने भी मुख्यमंत्री को फोन कर अपने कार्यक्रम के संबंध में जानकारी ली और हर संभव मदद की सलाह दी। यह जानकारी सोशल मीडिया पर साझा करते हुए धामी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के लेपचा से लेकर प्रधानमंत्री ने उन्हें फोन कर सुरूर में फंसे हुए ज्वालामुखी की स्थिति और राहत एवं बचाव कार्य के संबंध में विस्तृत जानकारी ली।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने नावों को सकुशल बाहरी नाले के निर्माण के लिए कहा, जिसमें उद्यमों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई और वस्तुस्थिति का जिक्र किया गया। धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने दुर्घटना से बचने के लिए हर संभव मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा केंद्र शासित प्रदेश को राहत एवं बचाव कार्य में सहयोग का निर्देश दिया गया है।
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