‘चेक इयरली, सी क्लियरली’ थीम पर झारखंड आई सोसाइटी का डायबिटिक रेटिन पैट्रिआ डॉमिनेशन अभियान

'चेक इयरली, सी क्लियरली' थीम पर झारखंड आई सोसाइटी का डायबिटिक रेटिन पैट्रिआ डॉमिनेशन अभियान
Share with Friends


वर्ल्ड डायबिटिक वीक में ऑल इंडिया आई सोसाइटी के पहले ‘चेक इयरली सी क्लियरली’ अभियान की शुरुआत भी झारखंड में हुई। इसके तहत डायबिटिक आई इंस्टीट्यूट की जा रही है। राजधानी रांची में अध्ययन सोसायटी और रिसर्च सोसाइटी फॉर द स्टडीज ऑफ सर्जस इन इंडिया, रांची चैप्टर ने सामूहिक रूप से गुरुवार (16 नवंबर) को 16 नवंबर को 16 नवंबर को 16 नवंबर को 16 नवंबर को 16 नवंबर को 16 नवंबर को 16 नवंबर को 16 नवंबर को 16 नवंबर को 16 नवंबर 2019 को 16 नवंबर 2019 को 16 नवंबर 2019 को आयोजित की गई थी। राँची में आतंकियों की आंखों की जांच के लिए कैंप लगाया गया। इसमें लोगों की आंखों की मुफ्त जांच की गई। झारखंड आई सोसाइटी की साइंटिफिक कमेटी की साझीदार डॉ भारती कश्यप ने बताया कि 14 नवंबर से झारखंड के सुदूरवर्ती महासागर में ही कैंपप्लाट जा रहे हैं। यह अभियान 20 नवंबर तक चलेगा। उन्होंने कहा कि वायरल की वजह से बड़ी संख्या में लोगों की आंखों की रोशनी चली जाती है। उन्होंने कहा कि दृष्टिहीनता के बड़े होने के तीन कारण हैं- आंखों के बीच में मैक्युला में सूजन या विट्रियस हेमरेज या आंखों की रोशनी का अपनी जगह से खिसक जाना।

डायबिटिक रेटिन पैथी का प्रारंभ में नहीं दिखते लक्षण

डॉक्टर भारती कश्यप ने कहा कि एआईओएस डायबिटिक रेटिन मेडिसिन स्टडी 2019 का एक संदेश यह भी था कि 6/18 या उससे भी बेहतर रोशनी वाले एआईओएस डायबिटिक रेटिन पैथोलॉजी स्टडीज में 22 प्रतिशत की पढ़ाई शुरू हो गई है, लेकिन स्टूडेंट में कोई लक्षण नहीं है। दिखता है. इसी कारण से मधुमेह वाले सभी लोगों को वर्ष में एक बार उत्सव या व्यापक पूर्ण अवलोकन जांच अवश्य करानी चाहिए। उन्होंने कहा कि डायबिटिक रेटिन पैथी की समस्या उन लोगों में 77.8 प्रतिशत थी, जिसमें 15 वर्ष से अधिक का समय डायबिटीज से है। गुर्दे की बीमारी से प्रभावित और सेरेब्रो वैस्कुलर पीसीआर से प्रभावित गुर्दे की बीमारी में डायबिटिक रेटिन पैथी का सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा।

आंखों की इन समस्याओं का हो सकता है इलाज

उन्होंने बताया कि मोतियाबिंद का ऑपरेशन करने के बाद मरीज की आंखों की रोशनी वापस आ जाती है। ग्लूकोमा को दवा या सर्जरी से भी ठीक किया जा सकता है। लेकिन, डायबिटिक रेटिनोपैथी का इलाज समय पर नहीं हुआ, तो आंखों की रोशनी हमेशा के लिए जा सकती है। डायबिटिक रेटिन पैथी में रोशनी जाने का मुख्य कारण आंखों के परदे के बीच का भाग है, जिसे मैक्युला कहते हैं, जिसमें सूजन होना या विट्रियस हेमरेज होना या आंखों की रोशनी का अपनी जगह से खिसकना होता है।

  • भारत में ऑल इंडिया आई सोसाइटी का पहला 14 से 20 नवंबर तक डायबिटिक आई सोसाइटी का आयोजन हो रहा है

  • विश्व के 37 मिलियन लोगों में दृष्टिहीनता 4.8 प्रतिशत है जिसका कारण डायबिटिक रेटिन पैथी है

  • 50 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति से पीड़ित व्यक्ति का हर छठा आदमी डायबिटिक रेटिन रोगी से खोया हुआ आंखों की रोशनी

  • देश में 101 मिलियन पीड़ितों के मरीज़ हैं, पांच वयस्क लोगों में से एक व्यक्ति पीड़ितों से पीड़ित है

कोरस रैटिन पैथी से ऐसे पा सकते हैं वेक्टर

वहीं, डॉ. विनय ढांढनिया ने कहा कि शुरुआती दौर में मरीज़ों में ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिस राइड को नियंत्रित करके देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि आंखों के बीच के हिस्से में सूजन होने से आंखों के अंदर एंटी-वेफ इंजेक्शन के ज़र्रे लगे होते हैं। आंखों के अंदर के खून की छोटी-छोटी पतली नाल के उभरे इंजेक्शन के साथ-साथ लेजर भी दिखाता है। उन्होंने कहा कि अगर आंखों के अंदर खून चला गया है या रेटिनल डिटेक्शन हो गया है, तो विट्रिकोमी या सर्जरी की सर्जरी की जरूरत नहीं है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *