निमोनिया फेफड़ों से एक प्रकार का संक्रमण होता है, जिससे दोनों फेफड़े बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं। यह वायरस, वायरस या फंगस का कारण होता है। इससे सांस लेने में दिक्कत होती है। समय पर इलाज नहीं होने से बच्चे की मृत्यु तक हो जाती है। शहर के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. रहमान अग्रवाल ने बताया कि निमोनिया से लगभग पांच साल में सबसे ज्यादा बच्चे प्रभावित होते हैं। उसके बाद बुजुर्ग इसकी तालीम में आते हैं। ठंड में निमोनिया के रोगियों की संख्या में वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि देश में मलेरिया से अभी भी कई बच्चों की मौत हो रही है. इसे देखते हुए बच्चे और बुजुर्ग दोनों को बचने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बच्चों की इम्युनिटी ख़राब होने के कारण लोगों को सबसे ज़्यादा ख़तरा रहता है। उन्होंने बताया कि 50 बच्चों में से 3 से 4 बच्चे निमोनिया से प्रभावित होते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए न्यूमोकोकल वैक्सीन (पीसीवी) की टीका बाजार में उपलब्ध है। बच्चों को विचारधारा की आवश्यकता है। इससे बच्चे को काफी हद तक डॉक्टर तक पहुंचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि निमोनिया से गंभीर रूप से बीमार लोगों की मौत भी हो जाती है।
निमोनिया के लक्षण
बलगम वाली खांसीबुखार, ठंड लगना, सांस लेने में परेशानी, तेज सांस या घरघराहट, उल्टी, खाना खाने में परेशानी