jharkhand media : राज्य सरकार ने पोर्टल बनवाया, सरकार के खिलाफ गलत खबर छपनेवालो व्यक्ति या संस्थान के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी

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jharkhand media : चार-पांच दिन पहले ही देश भर में इंदिरा गांधी की लगाई इमरजेंसी की खूब चर्चा हुई। यह भी कहा-बताया गया कि इमरजेंसी के दौरान मीडिया पर सेंसरशिप लागू थी। मसलन कोई भी खबर सरकार के खिलाफ नहीं छप सकती थी। सरकारी अमला से हर खबर दिखा कर छापनी पड़ती थी। यहां तक कि व्यंग्य की मूक विधा कार्टून और तस्वीरों को भी छापने के पहले क्लीयरेंस लेना पड़ता था। इसकी उपेक्षा करने वाले तब लगभग 200 पत्रकारों को सरकार ने जेलों में ठूंस दिया था। झारखंड सरकार ने भी एक उससे मिलता-जुलता फरमान जारी किया है। झारखंड सरकार ने खबरों की मानिटरिंग के लिए हाल के दिनों में कई कदम उठाए हैं। ताजा मामला यह है कि राज्य सरकार ने एक पोर्टल बनवाया है। उस पोर्टल पर यह ब्यौरा रोजाना दर्ज किया जाएगा कि किस अखबार ने सरकार के खिलाफ कौन-सी खबर छापी। खबर अगर गलत, तथ्य से परे या भ्रामक होगी तो संबंधित जिलों के उपायुक्त ऐसी खबरों का खंडन भेजेंगे।

खबरों की मानिटरिंग के लिए बनाया पोर्टल

jharkhand media : राज्य सरकार ने इसके लिए एक पोर्टल बनवाया है। अखबारों में सरकार से संबंधित कितनी खबरें छपीं, कितनी विरोध में छपीं और किस अखबार ने छापी, ये तमाम जानकारियां पोर्टल पर उपलब्ध रहेंगी। मुख्यमंत्री की प्रधान सचिव वंदना दाडेल ने इस बात राज्य के सभी पर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव और सभी उपायुक्तों को पत्र जारी कर कहा है कि वे पोर्टल की सूचनाओं पर नजर रखें। भ्रामक या गलत खबरें होने पर उसका खंडन अखबारों को भेजें। सरकार का मानना है कि हाल के दिनों में कुछ भ्रामक खबरें सरकार के खिलाफ छपी हैं, जिनका लोगों के बीच गलत संदेश गया है।

डिजिटल मीडिया के प्रति भी सरकार सख्त

jharkhand media : वेब पोर्टल और यू ट्यूब चौनल चलाने वाले व्यक्तियों और संस्थानों की निगरानी के लिए पहले तो राज्य सरकार ने यह फरमान जारी किया था कि मुख्यमंत्री के नाम का अनावश्यक उल्लेख अगर किसी खबर में हुआ तो संबंधित व्यक्ति या संस्थान के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। हाल ही में राज्य सरकार का एक और फरमान आया कि वेब पोर्टल और यू ट्यूब चौनल को तमाम जानकारियों के साथ राज्य सरकार के सूचना जनसंपर्क विभाग में पंजीकरण कराना आवश्यक होगा। पोर्टल या यू ट्यूब चैनल का दफ्तर कहां है, उसमें कितने लोग काम करते हैं, जैसी कई जानकारियां देने के लिए कहा गया है। हालांकि वेबसाइट्स और यू ट्यूब चैनल के रजिस्ट्रेशन की अभी कोई व्यवस्था देश भर में कहीं नहीं है। भारत सरकार के सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने इस दिशा में शुरुआती पहल की है। यानी वेब पोर्टल और यू ट्यूब की खबरों की मानिटरिंग के लिए सेल्फ रेगुलेटरी बाडी बन रही हैं। पोर्टल या यूट्यूब चैनल के लिए ऐसी बाडी का सदस्य होना अनिवार्य कर दिया गया है। लेकिन झारखंड सरकार सीधे रजिस्ट्रेशन की बात कह रही है।

पत्रकारों के लिए कुछ नहीं कर पाई सरकार

jharkhand media : राज्य सरकार पत्रकार, पत्रकारिता के माध्यमों और खबरों की निगरानी के लिए जितनी चौकस दिखती है, उतनी पत्रकारों के हित की चिंता उसे कभी नहीं हुई। चिंता हुई भी तो प्रक्रिया इतनी जटिल बना दी गई कि आज तक किसी को उसका लाभ नहीं मिला। पत्रकारों के ग्रुप इंश्योरेंस की पहल पिछली सरकार ने की थी। सैकड़ों पत्रकारों से निर्धारित अंशदान भी लिये गए। सरकार पांच साल बिता कर विदा हो गई, लेकिन ग्रुप इंश्योरेंस के लाभ का पत्रकारों का सपना कभी पूरा नहीं हुआ। हेमंत सोरेन की सरकार ने पत्रकारों के लिए मडिक्लेम की घोषणा की। इसके लिए आनलाइन आवेदन आमंत्रित किए गए। लेकिन शर्तें ऐसी जोड़ी गई कि सिर्फ 169 आवेदन ही आए। इतनी कम संख्या में कोई बीमा कंपनी मेडिक्लेम देने को तैयार ही नहीं हुई। मामला तकरीबन साल भर से लटका है। अब सूचना है कि दूसरी बीमा कंपनियों से बीड आमंत्रित करने की बातचीत चल रही है। पत्रकारों को पेंशन देने की बात भी पिछली सरकार ने शुरू की थी, लेकिन शर्तें उसकी भी इतनी जटिल थीं कि गिने-चुने लोग ही उसका लाभ ले पाते। अब सूचना है कि सोरेन सरकार पहले की खामियों को दूर कर बेहतर पेंशन स्कीम लाने की तैयारी में है। इसके लिए उन राज्यों से पेंशन स्कीम के ड्राफ्ट मंगाए जा रहे हैं, जहां यह लागू है। दस्तावेजों का अध्ययन कर पेंशन स्कीम बनाई जाएगी। हरियाणा, तमिलनाडु, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, केरल, छत्तीसगढ़, असम और बिहार में पत्रकार पेंशन योजना लागू पहले से लागू है।

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